जिला मुख्यालय की मंडी में देशी लहसुन 1500 से 2500 एवं ऊंटी माल 2000 से 3200 क्विंटल बिक रहा है। जबकि पिछले वर्ष देशी लहसुन 5 से 8 हजार रुपए क्विटंल एवं ऊंटी लहसुन 7 से 10 हजार रुपए में बिकी थी। लहसुन व्यापारियों के अनुसार प्रतिदिन 5 हजार बोरी पुरानी लहसुन की आवक से नई लहसुन के भाव कम है। मार्च के बाद नई लहसुन के भाव में तेजी आएगी। वर्तमान में 18 से 20 हजार बोरी लहसुन की आवक हो रही है। सोमवार को बंपर आवक से मंडी के बाहर सुबह से वाहनों की कतारे लगी रही। भास्कर टीम ने किसानों से चर्चा की तो उन्होंने अपनी परेशानी बयां की। कई किसान अपनी उपज को मंडी से वापस घर ले जाने को मजबूर हो रहे हैं।
बंपर आवक के कारण लहसुन मंडी के मुख्य गेट के बाहर इस तरह वाहनों की सुबह से ही लंबी कतार लगी रही।
इतने कम भाव कि उपज की लागत भी नहीं निकल रही
सेमली इस्तमुरार के शोकिन पाटीदार ने कहा डेढ़ बीघा में 30 हजार की लागत से लहसुन बुवाई की। कटाई में 100 मजदूर लगाया। 15 हजार का बीज ही आया था। कीटनाशक का छिड़काव पर राशि खर्च की। लेकिन मंडी में उपज के भाव नहीं मिल रहे। पिछले वर्ष 8 हजार रुपए क्विंटल थे। सरकार को लहसुन के भाव 5 हजार निर्धारित करना ही चाहिए। रतलाम प्रीतम नगर के शांतिलाल पाटीदार ने बताया 200 किमी दूर से लहसुन लेकर आए। दो दिन बाद नंबर उपज नीलामी का नंबर आया। 2500 भाव मिलने से निराशा हुई। रात में किसानों के लिए सोने के इंतजाम है। उपज की सुरक्षा किसानों को करना पड़ रही है। किराये के बिस्तर लाकर रात गुजारना पड़ी। मंडी में सफाई व्यवस्था बिगड़ी हुई। रात में मवेशियों के झूंड उपज को नुकसान पहुंचाते है। कोई ध्यान देने वाला नहीं है।
वापस ले जा रहे उपज
बरबोदना के चंदरसिंह ने बताया लहसुन के 2000 रुपए भाव मिल रहे। जबकि लहसुन 8 हजार की थी। 20 बोरी लहसुन वापस घर ले जा रहे हैं। मंडी में किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है।
व्यवस्था सुधारने के प्रयास कर रहे
मंडी में किसानों की सुविधाओं के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आवक अधिक होने से व्यवस्था बिगड़ जाती है। आरएस बघेल, सचिव, कृषि उपज मंडी, नीमच
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