जावद :- 27 अक्टूबर आचार्य श्री 1008 श्री विजयराजजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवम जिनशासन विभूति श्री नानुकंवरजी म.सा. की सुशिष्या श्री अनोखाकंवरजी म.सा., मधुर व्याख्यानी श्री पारसकंवरजी म.सा.,ओजस्वी व्याख्यानी श्री कनकश्री जी म.सा.आदि ठाणा 6 के सानिध्य में कैलाश गली बोथरा सदन जावद पर हुक़्क़म संघ के अष्टम पट्टधर आचार्य श्री 1008 श्री नानालालजी म.सा. के स्वर्गारोहण एवम नवम पट्टधर आचार्य श्री 1008 श्री विजयराजजी म.सा. के आचार्य पदारोहण दिवस पर आज दिनांक 27 अक्टूबर शनिवार को प्रातः 9 से 9.30 तक जाप पूज्या महासती श्री कनक श्री जी म.सा.के मुखारविन्द से हुये जाप पश्चात कनक श्री जी म.सा. ने यंत्र,मंत्र,तंत्र पर विस्तृत वर्णन बहुत ही सुंदर तरीके के साथ समजाया तीनों में त्र है,त्र का अर्थ रक्षा करने वाला होता है, एवम यं का अर्थ अक्षर,आकृति,स्वरूप की प्रधानता होती है, तं का अर्थ वस्तु की प्रधानता है एवम मं से मन के उच्चारण की प्रधानता से होता है।इस तरह यंत्र, तंत्र,मंत्र का भावार्थ बताया। इसके साथ ही आज आचार्य श्री नानेश एवम आचार्य श्री विजयराजजी म.सा.के दोनो महापुरुषों के जीवन की घटित जीवंत घटना बिंदुओं को समाजजनों के सामने प्रवचन के माध्यम से उदबोधन दीया। पूज्या महासती श्री पारसकंवर जी म.सा.ने बताया की आचार्य श्री नानेश का जन्म ग्राम दांता में हुआ ओर दीक्षा 19 वर्ष की अवस्था मे ग्राम कपासन में हुई। तथा आचार्य के 81 वे पाठ पर विराजित हुए आपके जीवन के कई उदाहरणों को समजाते हुये कहा की आचार्य दीपक के समान होते है जो दोनों तरफ प्रकाश देता है ओर गुरु सूर्य के समान होते है।आज दो प्रसंग है एक गम का तो दूसरा खुशी का आचार्य नानेश का जन्म भी मेवाड़ ओर देवलोक भी मेवाड़ की धरा पर हुआ आपकी ख्याति मेवाड, मालवा,मारवाड़ से लेकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली हुई है। अपने ऊपर आचार्य नानेश की कृपा दृष्टि एवम अपनी दीक्षा में आई दिक्कतो को आचार्य नानेश ने बहुत ही सरलतापूर्वक आसान कर प्रभावी ढंग से हल कर समाप्त किया।आचार्य श्री विजयराजजी म.सा. की सरलता एवम सहजता के कई उदाहरण दीये आचार्य नानेश की विजयराजजी म.सा.पर भी कृपा दृष्टि हमेशा बनी रही ओर आज उन्ही की फुलवारी फल फुल रही है। इस अवसर पर श्रीमती रेखा चौपड़ा,लक्ष्मीनारायण विरवाल,नेमीचंद मेहता चितौड़गढ़ आदि ने अपने भाव व्यक्त किये कार्यक्रम का संचालन पंकज गाँधी एडवोकेट ने किया उक्त जानकारी विमल लोढ़ा ने दी।
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