आंतरीमाता चड़ौल से भादवामाता तक 7 मीटर चौड़ी सड़क बनेगी

Manasa News - mp news 7 meter wide roads will be built from bhadvamaata chadaul by interim mother
देवी तीर्थों को सड़क मार्ग से सीधा जोड़ने के लिए एमपीआरडीसी ने योजना बनाई थी। आंतरीमाता मंदिर से चड़ौल तक 82 किमी लंबी सड़क बनना है। अठाना में बायपास बनेगा। डीपीआर तैयार है। कुछ हिस्से पर पीडब्ल्यूडी ने निर्माण कराया था और गारंटी पीरियड पूरा होने के बाद योजना पर आगे का काम किया जाएगा। 

जिले के दो प्रमुख देवी तीर्थ हंै आंतरीमाता व भादवामाता। दोनों मंदिरों के बीच सीधी सड़क नहीं है। श्रद्धालुओं को कई किमी घूमकर मंदिर आना पड़ता है। आंतरी माता आने वाले श्रद्धालुओं को मनासा से घूमकर सावन हाेते हुए भादवामाता पहुंचना पड़ता है। भादवामाता से आंतरीमाता की दूरी 35 किमी है। इसमें 26 किमी में डामरीकरण है व बाकी 9 किमी कच्चा है। आंतरीमाता से लोड़किया 17 किमी व लोड़किया से 3 किमी नलखेड़ा तक डामरीकरण है। नलखेड़ा से अचलपुरा 3 किम, अचलपुरा से जालीनेर 3 किमी जालीनेर से सावन तक 3 किमी कच्चा मार्ग है। पीडब्ल्यूडी ने 9 किमी मार्ग के लिए चार करोड़ रुपए का प्रस्ताव प्रदेश शासन को भेजा था लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। बाद में एमपीआरडीसी ने आंतरीमाता मंदिर के पास से लेकर भादवामाता, सरवानिया, जावद होते हुए चड़ौल तक करीब 82 किमी लंबी सड़क बनाने की योजना बनाई। योजना में आंतरी से लोड़किया-नलखेड़ा सावन व भादवामाता होते हुए चड़ौल तक सड़क निर्माण कराया जाना था। एमपीआरडीसी के अनुसार सड़क निर्माण की डीपीआर तैयार करा ली गई है। सड़क निर्माण में कुछ हिस्से में पीडब्ल्यूडी की गारंटी वाली सड़क है और गांवों में 7 मीटर चौड़ी सड़क के लिए भूमि अधिग्रहण करना है। पीडब्ल्यूडी की गारंटी खत्म होने के बाद सड़क का निर्माण कराया जाएगा। 

भादवामाता मंदिर 

जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर स्थित भादवामाता मंदिर है। इस मंदिर में भादवा माता चांदी के सिंहासन पर विराजमान हैं। माता की मूर्ति के सामने चमत्कारिक अखंड ज्योति जल रही है। ऐसा माना जाता है भादवा माता रोज मंदिरों का फेरा लगाती हैं। वह अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर निरोगी बनाती हैं। 

आंतरीमाता मंदिर 

आंतरी में संवत् 1327 में तत्कालीन रामपुरा स्टेट के राव सेवाजी खीमाजी ने बनवाया था। देवी जगदम्बा दक्षिण दिशा से नदी के हनुमान घाट से मंदिर में विराजमान हुईं। हनुमान घाट के पत्थर पर मां के वाहन का पदचिह्न व दूसरा पदचिह्न मंदिर में अंकित है। भैंसासरी माता के नाम से भी जानी जाती हैं। 

साल में दो बार उमड़ती है लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ 

भादवामाता व आंतरीमाता मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। हर रविवार भीड़ जुटती है। भादवामाता के दर्शन कर श्रद्धालु आंतरी माता जाते हैं। वर्तमान में श्रद्धालुओं को मनासा होकर आना-जाना पड़ता है। सड़क बनने के बाद सीधे पहुंच सकेंगे। सड़क निर्माण होने के बाद कम समय और कम खर्च में श्रद्धालु दोनों मंदिरों में पहुंच सकेंगे। 15 किमी का चक्कर बचेगा। 

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