ई- लर्निंग एक प्रगतिशील कदम है ,इस पर प्रतिबंध लगाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है -श्री पाटीदार

*ई- लर्निंग एक प्रगतिशील कदम है ,इस पर प्रतिबंध लगाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है -श्री पाटीदार* 

*शासन के आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में पेश कि  याचिका*

 नीमच ।ऑनलाइन क्लासेस (ई- लर्निंग) के लिए केंद्र सरकार के एच आर डी विभाग ने  एक नई गाइडलाइन -2020 जारी कि है जो शिक्षा के लिए प्रगतिशील कदम है, जबकि मध्यप्रदेश शासन के द्वारा प्रतिबंध लगाया हुआ है जो मौलिक अधिकारों  का उल्लंघन है उक्त आशय का कथन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं एडवोकेट महेश पाटीदार ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेस से शिक्षा मौलिक अधिकार है अन्य प्रदेशो व हाईकोर्ट ने उचित माना है । ऐसे में मध्य प्रदेश शासन के आदेश को निरस्त करने के लिए सोपास ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है।

 सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स( सोपास )के प्रांतीय लीगल एडवाइजर महेश पाटीदार एडवोकेट ने बताया कि लॉकडाउन के चलते देश और प्रदेश के लाखों करोड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित है ऐसे में ई -लर्निंग एक प्रगतिशील कदम है इस पर सवाल उठाना उचित नहीं है ।

श्री पाटीदार ने कहा कि अंग्रेजी और कंप्यूटर का उत्तर भारत में ज्यादा विरोध हुआ और अब हमारे क्षेत्र के बच्चों को दक्षिण के क्षेत्र में जाकर कंप्यूटर की शिक्षा और रोजगार को प्राप्त करना पड़ रहा है ऐसे भविष्य की आवश्यकता और चुनौतियों को देखते हुए इस चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल और प्रगतिशील कदम का स्वागत किया जाना चाहिए ।

श्री पाटीदार ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेस के लिए एचआरडी की गाईडलाइन - 2020 के अनुसार कक्षा 1 से 8 तक के 2 सत्र तथा 9 से 12 तक के 4 सत्र की अनुमति दी गई है। मध्य प्रदेश शासन के द्वारा पूर्व से ही कक्षा 1से 5 तक की ऑनलाइन क्लास को बंद किया हुआ है ।

श्री पाटीदार ने कहा कि शिक्षा मौलिक अधिकार है इसे मनमाने ,तर्कहीन और अनुचित कारणों से नहीं रोका जा सकता है तकनीकी कमियों को ठीक किया जा सकता है लेकिन पूरी नीति को दोषपूर्ण या असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता है ।इस कारण सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल  डायरेक्टर की ओर से माननीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ जबलपुर के समक्ष याचिका क्रमांक 9847/2020 की प्रस्तुत कर शासन के आदेश दिनांक 24 अप्रैल 2020 ,16 मई 2020,  6 जून 2020 एवं 18 जून 2020 को निरस्त करने की प्रार्थना की गई है , जिस पर संभवत: 20 जुलाई 2020 को सुनवाई होगी ।

श्री पाटीदार ने कहा कि आज हम 21वीं सदी में हैं जहां दुनिया को डिजिटल रूप से संचालित किया जा रहा है जो ई -लर्निंग की व्यवस्था को सीखने के डिजिटल और अन्य तरीकों को बढ़ावा देती है इसी कारण देश के अनेक प्रांतों में ऑनलाइन शिक्षा की अनुमति दी गई है ,अनेक उच्च न्यायालय के द्वारा भी दिए गए निर्णय के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा की अनुमति दी गई है , ऐसे में ऑनलाइन क्लासेस( ई - लर्निंग) का समर्थन और स्वागत किया जाना चाहिए। 
श्री पाटीदार ने कहा कि शिक्षा को स्कूल फीस से जोड़कर देखा जाना उचित नहीं होगा ,इसके बाद भी सभी स्कूलो को चाहिए कि वे ऑनलाइन क्लासेस (इन - लर्निंग ) को तकनीकी रूप से और सुदृढ़ ,व्यवस्थित और छात्र उपयोगी बनाएं।


समाचार सादर प्रकाश नार्थ 
महेश पाटीदार एडवोकेट

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